शरद्वसन्तनामानौ दानवौ द्वौ भयंकरौ।
तयोरुपद्रवशाम्यर्थ पूजां द्विधा मता।।
अर्थात् शरद् एवं वसन्त नाम के दो भयंकर दानव विभिन्न रोगों के कारण हैं, इन ऋतु- परिवर्तनों के समय विभिन्न रोग- महामारी, ज्वर, शीतला, कफ, खाँसी आदि के निवारणार्थ शारदीय तथा वासन्ती – ये दो नवरात्र दुर्गा- पूजा के लिए प्रशस्त हैं।
विधि पूर्वक स्थापित कलश में प्रदत्त सर्वौषधि, पंचरत्न, सुपारी, दूर्वा आदि द्रव्यों, पदार्थों को देखने से स्पष्ट होगा कि नौ दिनोंतक कलश में दिये गये उन पदार्थों से कलशजल अमृतमय हो जाता है और उससे अमृत रूप जल से महामन्त्रों द्वारा अभिषेक किया जाता है। वह सर्वपाप – रोगविनाशक है।
ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र