टॉप न्यूज़
Trending

एक ऐसा मंदिर जिसके पठ वर्ष में एक बार खुलते है….वीडियो देखें….

मंदिरों के शहर उज्जैन में सिर्फ नागपंचमी के दिन  24 घंटे ही खुलता है… यह मंदिर

उज्जैन। सावन मास की शुक्ल पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है इस दिन भगवान शिव के आभूषण नागदेव की पूजा की जाती है, इसी दिन उज्जैन बाबा महाकाल की नगरी जिसे मंदिरों का शहर भी कहा जाता है, बड़ी बात तो यह हैं की 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा महाकाल यहां विराजमान है जिसके चलते प्रतिदिन विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर के यहां दूरदराज से लाखों श्रद्धालू  दर्शन करने पहुंचते हैं। लेकिन नाग पंचमी के दिन यहां दर्शन का  विशेष महत्व रहता है दरअसल महाकालेश्वर मंदिर में तीन खंड है, गर्भ ग्रह में महाकालेश्वर भू तल पर ओंकारेश्वर और शिखर पर नागचंदेश्वर विराजित है, शिखर तल पर विराजित नागचंद्रेश्वर का पट वर्ष में केवल एक दिन 24 घंटो के लिए ही खुलता है। जिसके चलते दर्शन के लिए यहां भक्तों की तांता लगा रहता है।

11वीं शताब्दी की अनूठी प्रतिमा, नेपाल से लाई गई थी

महाकाल मंदिर के शिखर पर श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है। प्रतिमा में फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। माना जाता है पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें भगवान विष्णु की जगह भगवान भोलेनाथ सर्पशय्या पर विराजमान हैं। मूर्ति में श्री शिवजी, मां पार्वती, श्रीगणेश जी के साथ सप्तमुखी सर्प शय्या पर विराजित है। साथ में नंदी एवं सिंह भी विराजित हैं। शिवशंभू के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हैं। कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।

नागचंद्रेश्वर मंदिर में होगी त्रिकाल पूजा

20 अगस्त की मध्य रात्रि विशेष पूजा अर्चना के साथ आम भक्तों के लिए मंदिर खुलेगा। 24 घंटे दर्शन होंगे। पट 21 अगस्त मंगलवार रात्रि 12 बजे बंद होंगे। इस दौरान लाखों श्रद्धालु दर्शन करेंगे। पर्व पर भगवान श्री नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा होगी। 20 अगस्त रात्रि 12 बजे पट खुलने के बाद श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीतगिरी महाराज पूजन करेंगे। शासकीय पूजन  दोपहर 12 बजे होगा। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा  श्री महाकालेश्वर भगवान की सायं आरती के बाद फिर मंदिर के पुजारी एवं पुरोहितों द्वारा पूजन-आरती की जाएगी। इसके बाद रात 12:00 बजे वापस से 1 वर्ष के लिए नागचंद्रेश्वर के मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं।

वीडियो देखें….

पौराणिक कथा

मान्यताओं के मुताबिक सांपों के राजा तक्षक ने भगवान शिव को मनाने के लिए तपस्या की थी जिससे भोलेनाथ प्रसन्न हुए और सांपों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया। वरदान के बाद तक्षक राजा ने प्रभु के सानिध्य में ही वास करना शुरू कर दिया लेकिन महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी यही इच्छा थी कि उनके एकांत में विघ्न न हो इसलिए यही प्रथा चलती आ रही है कि सिर्फ नाग पंचमी के दिन ही उनके दर्शन होते हैं बाकी समय परंपरा के अनुसार मंदिर बंद रहता है।

कलम से सत्य की गूंज...

Back to top button

Adblock Detected

please remove Ad blocker