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पंचदिवसीय शैक्षणिक गुणवत्ता विकास कार्यशाला का हुआ समापन

संस्कृत और तकनीकी के संगम से भारत पुनः बनेगा विश्वगुरु- प्रो. मिश्रा

पंचदिवसीय शैक्षणिक गुणवत्ता विकास कार्यशाला का हुआ समापन

 

उज्जैन। शासकीय संस्कृत महाविद्यालय में आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के अन्तर्गत विगत पाॅंच दिनों से चल रही शैक्षणिक गुणवत्ता विकास कार्यशाला का समापन हुआ।

 

कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय की अर्थशास्त्र अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष और सामाजिक विज्ञान विषय के संकायाध्यक्ष प्रो. सत्येन्द्र किशोर मिश्रा थे। उन्होंने  अपने उद्बोधन में कहा कि भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने के लिए संस्कृत और तकनीकी का संगम आज की आवश्यकता है।

संस्कृत जानने वाला व्यक्ति विश्व की किसी भी भाषा को सरलता से सीख सकता है। साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों को राष्ट्रीय नीति 2020 में संस्कृत और भारतीय भाषाओं को लेकर किये गए प्रावधानों के बारे भी बताया। अध्यक्षता कर रही प्राचार्य डॉ. सीमा शर्मा ने कहा कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान की उन्नति का आधार उसकी गुणवत्ता विकास को लेकर किये जाने वाले प्रयास ही होते हैं।

 

कार्यशाला के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए यश शर्मा और डॉ. श्रेयस कोरान्ने ने संयुक्त रूप से बताया कि पंचदिवसीय कार्यशाला का आयोजन वेद, व्याकरण, ज्योतिष, साहित्य और कर्मकाण्ड विभागों के संयुक्त तत्वावधान में किया गया है। जिसमें पंद्रह सत्रों में विविध विषयों पर सारगर्भित व्याख्यान और चर्चाओं का आयोजन हुआ। साथ ही प्रतिभागी विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए।

 

संचालन डॉ. गणेश प्रसाद द्विवेदी ने और आभार प्रदर्शन शैलेश दुबे ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के आचार्यों, विद्यार्थियों और स्टाॅफ की सराहनीय भूमिका रही।

कलम से सत्य की गूंज...

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