मध्य प्रदेश
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विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में नया खेला।

उत्खनन प्रभारी रमण सोलंकी के नामे 15 लाख की बंदरबांट का आरोप।

यह विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन है जहां सब मुमकिन है। एक तृतीय श्रेणी के कर्मचारी रमण सोलंकी को उत्खनन प्रभारी का पद दे दिया जाता है। कार्यपरिषद से स्वीकृति लेकर बेहद शातिराना ढंग से किसी काबिल युवा के रोजगार को छीन लिया जाता है।

कहते है ऑडिट से सब डरते है। लेकिन इसके बाद भी ऑडिटर की आपत्ति को दरकिनार कर रमण सोलंकी को तनख्वाह के नाम पर करीब 15 लाख का भुगतान कर दिया जाता है।

गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी में जो पैसा तनख्वाह के नाम पर दिया जाता है वह छात्रों के मां पिता के खून की कमाई यानी मेहनत से आता है। मतलब फ़ीस के नाम पर उसे वसूल किया जाता है।

रमण सोलंकी की नियुक्ति पर पेंच पहले ही कोर्ट में है और उस पर उन्हें नए लाभ के पद पर बिठा देना। गड़बड़झाला तो नजर आता ही है।

रमण सोलंकी के पद को लेकर कांग्रेस नेता बबलू खींची ने कई सवाल उठाए है। इन सवालों से भागना भी मुमकिन नही क्योंकि जो दिखाई दे रहा है,उसमें मिलीभगत नजर आ रही है। मतलब विक्रम विश्वविद्यालय को अपने कारनामो से फिर शर्मसार होना पड़ेगा।

कलम से सत्य की गूंज...

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