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किसान सुखीराम का अंधा कानून अपडेट… नए खुलासे के साथ विडियो भी देखें

सुखीराम का अंधा कानून अपडेट…

पैतृक जमीन को बिना सहमति के काका ने कैसे बेच दी…

क्या प्रशासन यह नहीं जानता परिवार के सदस्यों की सहमति होती है, आवश्यक…

भू माफिया की मिलीभगत से हुआ जमीन का सौदा।

 

धर्मेन्द्र 09893994802✍️

उज्जैन। शहरों से निकलकर अब जमीनों के सौदागरों ने गांव का रुख अपना लिया हैं। बस जमीन मौके की और सड़क किनारे मिल जाए तो बात ही कुछ और हो। ऐसी जमीनों को हथियाने में नियमों की पाठशाला आवश्यक नहीं होती बस जुगाड़ होता है। इन्हीं जुगाड़ू हथ कंडो का शिकार हाल फिलहाल तराना तहसील के ग्राम कनसिया के किसान सुखीराम हो चुके हैं… अपने साथ हुए इस षड्यंत्र के शिकायतों की पोटली लेकर वह अपनी बहन के साथ अंधा कानून का गीत बजाते हुए उज्जैन भोपाल और अब दिल्ली जाने की सोच रखते है दिल्ली में वह अमित भाई और मोदी जी से मुलाकात करने की बात कह रहे है।

 

वहीं प्रशासन ने गुरुवार सुबह इस मामले में संज्ञान लेते हुए एक स्पष्टीकरण जारी किया है। तराना एसडीएम एकता जायसवाल का कहना है कि उक्त किसान सुखीराम ग्राम कनासिया तहसील तराना निवासी सुखराम द्वारा कथित रूप से हुए अन्याय की बात तख्ती लेकर प्रचारित करी जा रही है । इसमें वास्तविकता यह है कि सुखराम के बड़े पिता लक्ष्मी नारायण जो अविवाहित थे अपने हिस्से की भूमि की बिक्री कर चुके थे। जिसका नामांतरण हो चुका है सुखराम का अपने बड़े पिता लक्ष्मीनारायण से एक सिविल वाद जो स्वयं सुखराम ने लगाया है न्यायालय में चल रहा है ।आज भी ग्राम कनासिया में सुखराम व उसकी बहन व अन्य के नाम सर्वे क्रमांक 837/1 व सर्वे क्रमांक 2815/1 रकबा 0.14 व 0.19 हेक्टर दर्ज है । सुखराम के बड़े पिता लष्मीनारायन की मृत्यु 17 जून 2022 को चुकी है। उनके बड़े पिता ने जो बिक्री पत्र दिया है उसको रद्द करने के अधिकार सिविल न्यायालय को है राजस्व न्यायालय को नही . उक्त सभी तथ्यों की जानकारी सुखराम वह उनकी बहन को है किंतु फिर भी सुखराम द्वारा अन्याय की बात को लेकर अनावश्यक विरोध किया जा रहा है।

वही इस विषय में वास्तविकता जानने के लिए जब किसान सुखीराम से जानकारी ली गई तो तस्वीर कुछ और ही सामने आई। दरअसल प्रशासन जिन लक्ष्मी नारायण का जिक्र कर रहा है उनकी मृत्यु 2022 में हुई है और वह किसान सुखीराम के काका थे ना कि बड़े पिता। असल बात यह है कि यह संपत्ति पैतृक संपत्ति और इस पैतृक संपत्ति मैं रघुनाथ जो कि सुखराम के दादा थे उनके नाम दर्ज थी रघुनाथ जी की तीन संताने थी पहले लालजी राम इनकी मृत्यु 40 वर्ष पूर्व ही हो चुकी है और यह अविवाहित थे। रघुनाथ जी की दूसरी संतान खूबचंद इन्होंने विवाह किया था इनकी तीन संतान थी पहली शगुन बाई दूसरी सुखराम व तीसरे नंबर पर नंदकिशोर वहीं रघुनाथ जी की तीसरी संतान लक्ष्मी नारायण थे यह भी 2022 में शांत हो चुके हैं और यह सुखराम के काका है ना की बड़े पिता। सुखराम के पिता की मौत होने के बाद वारिस में बहन शगुन बाई माता का और नंदकिशोर और सुखराम का नाम दर्ज था।

 

अब सवाल यह उठता है कि लक्ष्मीनारायण ने अकेले जमीन कैसे बेच दी। जबकि नामांकन प्रक्रिया कहती है कि जिसके भी नाम जमीन दर्ज हो उनकी सहमति लेनी पड़ती है जबकि सुखराम का कहना है कि उनसे जमीन बेचते समय किसी प्रकार की सहमति नहीं ली गई वही काका लक्ष्मी नारायण के जीवित रहने के उपरांत ही उन्होंने सिविल न्यायालय में वाद दायर कर रखा है फिर इस बीच जमीन की बिक्री कैसे संभव है इसी विवाद को लेकर वह अधिकारियों के चक्कर काट रहे वही यह भी आरोप लगा रहे हैं कि तहसीलदार ने पैसे लेकर उनकी जमीन को बेचा है। इस विषय में वह सीएम हेल्पलाइन सहित दर्जनों शिकायतें जवाबदार अधिकारियों को कर चुके हैं बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिल रहा इसी क्रम को लेकर वह अंधा कानून जैसे गीत बजाकर प्रशासन को जगाने का काम कर रहे हैं हाल फिलहाल वह उज्जैन और भोपाल में संबंधित शिकायत की जांच हेतु अधिकारियों से मिल चुके हैं अब वह दिल्ली जाने की सोच रहे हैं वहां वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को शिकायत करेंगे।

 

कलम से सत्य की गूंज...

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